इंतज़ार करते रहो मोहम्मद शहरयार खयाले-वस्ले-यार करते रहो यार का इंतजार करते रहो। अना को रिश्तों में जगह न दो अयां अपने विचार करते रहो।ख़्वाब पूरे हों या अधूरे रहें कोशिशें बार बार करते रहो। मैं हूँ मशरूफ़-ए-जुस्तजू ऐ सनम आप चाहो तो वार करते रहो।जिस में किरदार से खुशबू आए अमल यूं बेशुमार करते रहो।मुश्किलें कदमों को बोसा देंगी जिक्र-ए-परवरदिगार करते रहो।इश्क़ दे वास्ते उमर है कम इश्क़ भी ‘शहरयार’ करते रहो।