जिंदगी की इस भागदौड़ में

जिंदगी की इस भागदौड़ में
मै कहाँ आ गया !
कब सुबह हुई कब शाम हुई
कब स्कूल से कॉलेज आ गया
कब गाँव से शहर आ गया
कब बचपन से जवानी में आ गया
जिंदगी की इस भागदौड़ में
मैं कहाँ आ गया।

कब बेटे से पिता हो गया
कब साईकिल से गाड़ी में आ गया
कब रेडियो से टी वी पर आ गया
कब फोन से मोबाइल पर आ गया
जिंदगी की इस भागदौड़ में
मैं कहाँ आ गया।

कब अपनो से पराया हो गया
कब सपनो से जिम्मेदार हो गया
कब मीलों का सफर तय हो गया
कब जिंदगी जीना भूल गया
जिंदगी की इस भागदौड़ में
मैं कहाँ आ गया ।

कब आस्तिक से नास्तिक हो गया
कब इंसान से धनवान हो गया
कब बच्चों का दादा नाना हो गया
कब मोनू से मोहन हो गया
जिंदगी की इस भागदौड़ में
मैं कहाँ आ गया।