दर्द डॉ मोहन लाल अरोड़ा फिर क्यों दर्द भरी याद आईशायद फुर्सत नही किसी मेंक्यो दर्द भरी रुदाद छाई।सोचता हूँ अक्सर शब-ए-गमदिल में अजब दर्द छलकानिकले शायद रुह-ए-दम।दर्द भरी आवाज दे के देखखामोशियाँ मेरी यूँ ही नहींदर्द से दर्द की मुहब्बत देख ।हम पे भी लगा इक इल्जामदास्तान-ऐ-दर्द कहने कादर्द से दर्द मे भी है पैगाम।