रोटी

विदा होऊं जब मै
इस जहान से
फूलों के बदले
मेरी चिता पर
एक रोटी सजा देना
जिस्म तो भूखा मर ही गया
मेरी रूह को ही खिला देना
भटक ना पाए वह भूखी
चैन से उसे सुला देना।

कर रहा था कोशिश
जीने के लिए मै
माँ के गिरते हुए आँसू
पोंछ रहा था
माँ के सिर पर हाथ रख
बोल रहा था
माँ तू चिंता मत कर
बड़ा होकर मै
खूब कमाऊंगा
तब मै पेट भर कर
रोटी खिलाऊंगा।