जुगनूँ

आया एक जुगनूँ
मेरी भी जिंदगी में
कभी चमकता
कभी दमकता कभी इतराता
कभी मेरे पास आकर गुनगुनाता
हर राज मुझे अपने आकर बतलाता।

हुआ मुझ से उसे बहुत प्यार
मैं भी रहने लगा उसके लिए बेकरार
बनाने लगता मिलने के कई बहाने
सुनाने लगता मन दिल के तराने।

खो गये हम एक दूसरे के आगोश मे
हो गया मुहब्बत-ऐ-इजहार जोश ही जोश मे
चल सा गया जादू जैसे हमारे कोश मे
ना वो रहा होश में ना हम आए होश मे।

दुनिया को कहाँ भाते है प्यार के पल
सुन सबके ताने जुगनूँ हो गया जल थल
गुस्सा करें या प्यार नही दिखा कोई हल
कहे मुझसे मोहन प्यारे कहीं दूर भाग चल

कहीं दूर भाग चल
कहीं दूर भाग चल
कहीं दूर भाग चल ।