स्त्री

स्त्री का अस्तित्व है महान
माँ बनना भी है सम्मान
सब जगत पर है अहसान।

कब हटेंगे यह इश्तहार बड़े अस्पतालों से
यहाँ लिंग परीक्षण नही किया जाता सालो से
पुत्र जन्म पर दी जाने वाली बधाईयाँ
बेटी जन्म पर मिलने वाली रूसवाईयाँ
कोई बात नही आजकल बेटा बेटी एक जैसे हैं
यह कहना आसान परंतु मन से सब वैसे हैं
फिर ना नोच कर फेंक दी जाए गटर मे कोई बच्ची
जो नवरात्रों में पूजी गई थी देवी सच्ची।

दोहरी हुई पीठ पर बच्चा बाँध कर
ईंटों और सीमेंट को कंधे पर लाद कर
चढती हुई गरीब औरत ना तौली जाए
ठेकेदार की नजरो में ना बोली जाए
फिर से ना किसी अबला पर गोली चलाई जाए
ना तेजाब से राह चलती खूबसूरत शक्ल जलाई जाए।

नही कर सकते किसी स्त्री का सत्कार
बड़ा ही घिनौना और आपराधिक है बलात्कार
घर से बाहर निकलने पर घूरती गंदी निगाहे
बेचारी शर्म से सिमटती भरती ठंडी आहे
कब बंद होंगे कोठे और चकले
क्यों बिकेंगी गोश्त की तरह सुंदर शक्लें
कब हटेंगी समाज से यह सब बुराईयाँ
कब दे पायेंगे हम अपनी बहन बेटियों को अच्छाईयाँ
कब बंद होंगा खरीद फरोख्त का व्यापार
क्यों दिया जाए गाड़ी और सोने का हार
क्यों दी जाए रुपये और रसूख की फाँस
क्यों ढोये बाप बेचारा ज़िंदा जलाई लड़की की लाश।

हम सब समझे अपना धर्म और मान
करे हम सब हर बहन बेटी का सम्मान॥