मेरा वतन

धन्य धरा यह पावन जननी, जहाँ स्वर्ग का द्वार है।
मेरा वतन, मै करता वंदन, नमन इसे सौ बार है ॥

गंगा यमुना जीवन रेखा, अमृत रस की खान है,
कृष्णा कावेरी दक्षिण में बहती, देती जीवनदान है।
स्वर्णरेखा में सोना बहती, गोदावरी अमर वरदान है,
नर्मदा, ताप्ती तृप्त कराती, महानदी एक पहचान है॥

धन्य धरा यह पावन जननी, जहाँ स्वर्ग का द्वार है।
मेरा वतन, मै करता वंदन, नमन इसे सौ बार है ॥

अरावली की गुरुशिखर, सद्भावना विंध्य-मान है,
हिमशिखर की कंचनजंगा, अपने वतन की शान है।
पठार मालवा, छोटा नागपुर यह तो अपनी जान है,
भिन्न-भिन्न संस्कृति, हर भाषा की अपनी आन है॥

धन्य धरा यह पावन जननी, जहाँ स्वर्ग का द्वार है।
मेरा वतन, मै करता वंदन, नमन इसे सौ बार है ॥

हर त्योहार की सोंधी खुशबू, अतिथि में भगवान है,
सभ्यता अपनी विश्व धरोहर, संस्कृति अरु महान है।
देव समाहित कण कण में, स्वर्ग सा यह उपमान है,
मातृभूमि का नित वंदन है, वतन मेरा अभिमान है॥

धन्य धरा यह पावन जननी, जहाँ स्वर्ग का द्वार है।
मेरा वतन, मै करता वंदन, नमन इसे सौ बार है ॥