ऐ दर्द

ऐ दर्द मै था जितनी दूर तुझसे
बेइन्तहाँ नफरत भी थी तुझसे
पर आज तू मेरा सच्चा मित्र है
मेरे सफर का हमराही है तू ।

जब कोई नही समझता मेरी दास्ताँ
पर तू सब कुछ पढ़ लेता है
सपने में भी नही सोचा कभी
तू मेरे इतने करीब आ पाएगा
यूँ तेरा मेरा नाता गहरा जाएगा।

भागता था हमेशा तेरे साये से दूर
पर आज तेरे साथ हूँ जीने को मजबूर
हुई तुझसे यारी सब छोड़ गये साथ
पर तुमने अभी भी थाम रखा है मेरा हाथ
ना कोई उम्मीद ना कोई आस है
ना अब मुझे कोई खुशी की तलाश है ।

ऐ दर्द तुझसे नाता होते ही
छोड़ा मुझे अपनों ने अधर में
ढूँढ रहा हूँ अब मै रिश्तों के मायने
उलझा हूँ अभी भी कैसे कैसे भँवर में
ना कोई साथी ना अब सिर पर किसी का हाथ
ऐ दर्द अब तू भी मत छोड़ना मेरा साथ
ऐ दर्द अब तू भी मत छोड़ना ‘मोहन’ का साथ।