कोमल मन
स्नेहिल कोमल मन मे
उल्लास अंकुरित होता है
निशब्द निसर्ग जीवन में
हृदय पल्लवित होता है।
कष्टप्रद पथ के पथिक
में ही नैराश्य सुलगता है
जीने की अभिलाषा से
उर में माधुर्य पनपता हैं।
कलुषित वाणी से सदैव
ही शब्द विषमय होता है
श्रेष्ठ विचारों के सृजन से
जीवन सुखमय होता है।
आल्हादित हृदय में ही
प्रेम का उपवन होता है
सत्यप्रिय ध्येय निष्ठा से
जीवन मधुवन होता है।
सकल भोग्य पदार्थो के
मिले अनेक उपसार हैं
परम पिता परमात्मा के
“मोहन” पर अंनत उपकार हैं ।।