ऐ मेरे रक़ीब डॉ मोहन लाल अरोड़ा आज तुम्हारे प्यार भरे खत मेंयह सलाम किस का हैना है रक़ीब तोआखिर वो नाम किस का हैले लो मेरे तजुर्बों से सबकऐ मेरे रक़ीबउम्र में तुमसे बडा ही हूँसदमे उठाये रश्क़ केकब तलक, जो भी होगाजैसा भी होगाया तो रक़ीब नहीया आज ‘मोहन’ नही।