शराब

शराब ना पियो राजा
अर्ज करती तेरी रानी
तृप्त कभी नही होता पीने वाला
रहता हमेशा पानी पानी।

बात मान जा मेरे सजना
बन मत इतना मतवाला
कुछ तो डर ऊपर वाले से
जो है हम सबका रखवाला।

कैसा रोग लगाया तूने
हर दिन जाता मधुशाला
राह बदल कर मदिरालय की
राम नाम की जप ले माला।

आशा भरी निगाह से बच्चे
देख रहे है तेरी राह
पी पी कर जब मर जाएगा
कौन उन्हें तब देगा थाह।

खेत बेच या घर बेच
या बेच तू खंडाला
तृप्त आज तक नही हूआ
कोई भी पीने वाला।
तेरे चरणो की मैं दासी
अरे सोच तू मेरे राजा
दीवार टूटी छत भी है टूटी
कितना भुगतेंगे हम खामियाजा।