“शारदा” के प्यार से सुनहरी यादों के लम्हे चुराकर खुद को खुश नसीब समझ रहा मै जब इंतजार के लम्हे पिघलने लगे फिर वही प्यार भरे सपने उमड़ने लगे वो पार्क वो सफेद पोशाक वो मीठी मीठी बातें मुस्कराते लब भाग कर चलती ट्रेन को पकड़ना वो हाफ स्लीव की काली स्वैटर मेरे उन्हीं लम्हों को याद करवाती है ‘मोहन’ की जान बन गई तू मेरे घर की शान।।