मुस्कान

चंद पलों के लिए ही सही
तू आने दे अपने चेहरे पर मुस्कान
तू सजा ले मेरी कविताओं को
अपने इन गुलाबी होंठों पर
मै तेरी मुहब्बत बन
मुस्करा लिया करूंगा
तू जो तन्हा होगी
कभी भी कहीं भी
तो तेरे इन गुलाबी होंठों से
खुद से गुनगुना लिया करूंगा
मै कलम बन कर
अपनी कविता से
रोज कोरे कागज पर
मिलने आ जाया करूंगा
चंद पलो के लिए ही सही
तू आने दे अपने चेहरे पर मुस्कान।
तू सजा ले ‘मोहन’की कविताओं को
चंद पलो के लिए ही
तू आने दे अपने चेहरे पर मुस्कान।