वो अपनी आदत से मजबूर थी मोहित कुमार उपाध्याय वो अपनी आदत से मजबूर थीमैं अपने स्वाभिमान से मजबूर थामजबूरी के इस बेढंगे आलम मेंहम दोनों पास होकर भी दूर थे ।आँखों मे उसके आँसू थेचेहरे पर मुस्कान थीबस यूं ही कुछ ऐसीये हमारी आखिरी मुलाक़ात थी।चिंता नहीं इस बात कीवो आखिर क्यों चली गईग़म है मुझे इस बात कावो होकर बदनाम चली गई।मैं आंखे बंद किए रहामगर नींद कहां आयीबिस्तर से उठकर देखावो आँगन मे खड़ी पायी।