आगे बढ़ पीछे आना मत
जो आगे बढ़ते हो तो बढ़ जाओ,
आगे बढ़ कर भी मुझमें रह जाओ
नज़रों से कतराना मत,
आगे बढ़ पीछे आना मत
हर डगर यूँ न सरल सहज होगी,
नुकीली होगी या खुरदुरी महज़ होगी
जब पैरों तले छाले भूंज जायेंगे,
चट्टानों के टुकड़े उन पर चुभ जायेंगे
तब याद हमारी आ जायेगी,
पैरों में मरहम भर जायेगी।
चल दिये जो बिना कुछ सोचें जाने,
बन जाते हो इतने अनजाने
इतनी भी क्या बात बुरी थी,
जग से ना कही थी तुमसे कही थी
जब ईमान की बस्ती घूमोगे,
हम सा ईमान फिर ढूँढोगे
बेईमान ईमान सिखायेगा,
तुम्हारा ईमान मूक बधिर रह जायेगा
तब याद हमारी आ जायेगी,
कुछ बातें कानों में कह जायेगी।
जब तन पसीने से तर होगा,
मन भी ना बेहतर होगा
आँखे जब धूंधलायेंगी,
पर दुःख ना कुछ कह पायेंगी
मिट जाते हैं तुमसे बहुत सारे,
बिना किसी जुगत के, बिना सहारे
जब मिटते-मिटते मिट जाओगे,
मजबूत कन्धा कहीं ना पाओगे
तब याद हमारी आ जायेगी,
तुम्हारे सिर को कंधा दे जायेगी।
बेहतर की खोज में निकले जो,
बेहतर कहां ही पाये वो
बेतरह मिले जो तुमको कोई,
कर लेना मनमर्ज़ी जो तुमसे होई
कहते फिरना साथ निभाने को,
तुम पर ही मिट जाने को
जब साथी साथ निभा ना पाये,
घुट घुट कर मन खूब पछताये
तब याद हमारी आ जायेगी,
आ कर कुछ तुमसे कह जायेगी।