मन की नैसर्गिकता

१)
मैंने जब भी कोई भावना
बोझिल दिल में पूर्णतः या आंशिक रूप से डुबोई
दिल के बोझ में कमी महसूस हुई
यह कमी।
किसी तीक्ष्ण सवेंदना में बहे
आंसुओ के भार के बराबर थी
अब सोच रही हूँ
आर्कमिडीज ने
जीवंत भावनाओं के लिये
निर्जीव उदाहरण को क्यों चुना?
वह जो निर्जीवता में भी
प्रेम ढूंढ लेते हैं
वह बनते है वैज्ञानिक!!
(२)
वह कहते हैं
एक और एक का जोड़
हमेशा दो ही होता है
मैंने तीन दफ़े
कोशिश की इस जोड़ को सीखने की
पहली बार जोड़ा तो ढाई आया
दूसरी बार में साढ़े चार
और तीसरी में पांच आया
गहरा सोचा तो जाना
गणित में कमज़ोर होना
मस्तिष्क की नहीं
मन की नैसर्गिता पर निर्भर है।
(३)
उन्होंने इतिहास कुरेदा
नहीं सोचा
वर्तमान और भविष्य भी
एक दिन इतिहास होगा
वे व्यस्त थे कुरेदने में
जब से पनपी सृष्टि
अब भयभीत हैं वे
जब से स्त्री ने उठा लिया है फावड़ा
अब वे व्यस्त है फावड़ा लिये
स्त्री के साथ, उनका इतिहास समतल करने में
डर है उनको
कंही स्त्री की नाज़ुक हथेली से छूट
फावड़ा गिर ना पड़े
उनके इतिहास पर।
(४)
मुश्किल होता है राह चुनना
और भी मुश्किल होता है उन पर चलना
पर अकेले क़दमों की सबसे बड़ी मुश्किल है
दूसरों की संभावनाओं से परे
अपनी संभावनाओं पर अडिग रहना
जैसे अडिग है सूर्य रौशनी फ़ैलाने को
जैसे अडिग हैं पुष्प खिल जाने को
जैसे अडिग है ओस पत्तों पर झरने को
जैसे अडिग थे वे राजा
जो सर्वस्व छोड़ अकेले निकले थे धर्म के लिये
जैसे अडिग थे वे देशभक्त
जिन्होंने दिलाई आज़ादी
जैसे अडिग है सैनिक अपनी सहादत के लिये
अडिगता पर चलता है गुरुत्वाकर्षण का नियम
ये वह सेब हैं
जिसे ऊपर उछालने पर
लौट कर गिरता है ज़मीन पर ।