कभी दुख मे नहीं रोता निज़ाम फतेहपुरी जिसे ख़ुद पर भरोसा है कभी दुख मे नहीं रोता।सफल है वो जवानी में ज़ियादा जो नहीं सोता।।नहा ले कितना भी गीदड़ वो गीदड़ ही रहेगा बस।चमक रहती है जब की शेर अपना मुँह नहीं धोता।।सफ़ेदी पर न जा मेरी अगर कुछ अक्ल है थोड़ी।बुढ़ापे में किसी का दिल कभी बूढ़ा नहीं होता।।पड़ी हो आग पर गर राख तो बस दूर ही रहना।कि अंगारा कभी अपनी तपिश जल्दी नहीं खोता।।‘निज़ाम’ ऐसा करो कुछ काम दुनिया नाम ले तेरा।वही शायर है अच्छा जो कभी नफ़रत नहीं बोता।।