मुझमें सावन इतना भर दो ओम प्रकाश शर्मा मुझमें सावन इतना भर दो,हो जाये तन सारा पावन।कितने बसंत छाए पलकों पर,फिर भी रहा मन अति निर्धन।मुझ पर छाया क्रंदन,करता हूँ नित तेरा वंदन!सात सुरों के हे स्वामी!मुझमें आज तेरा अभिनंदन।।पालक पावड़े आज सजाये,फूल मनोहर चुनके लाये।तेरी झूठी अभिलाषा ने,भर दिया जीवन में रोदन।कितने सुंदर मधुमासों ने,मुझको रीते राह दिखायेबुझा गई ज्योति आशा कीतेरी यादों की कम्पन।क्या कहती है पावस की ऋतुमुझमें बुझती सी ज्वाला।क्रंदन मुझमें भरने वालोंक्या मैं तेरे मन की उलझन।।