चमन के लुटेरे

लो कहाँ से आ गये ये चमन के लुटेरे,
छाये हैं धरती पे गम के बादल घनेरे।

लगे सब हरे बाग को ताबड़-तोड़ लूटने,
विवश प्रकृति भी मानों लगी है टूटने।

अब भुगतना पड़ेगा सभी को अंजाम बुरा,
जी रहे हैं सभी लोग अब जीवन अधूरा।

ये कायरता जो सांसो का सौदा किया है,
असमय लाशों का जो ये सौदा किया है।

ये पड़ा आज सृष्टि पर है कितना भारी,
लोग अपने ही जीवन के बन गये व्यापारी।

अब क्या तू !हाय-हाय खुदा कर रहा है,
तेरी करनी ही तुझको जुदा कर रहा है।

दोष उनको न दो जो चुपचाप देखता है,
देख कर फिर तुम्हारा कर्म लेखता है।

फिर देते है ख़ुदा सबको दण्ड धीरे-धीरे,
साथ छोड़ती हैं नही बुरे कर्मों की लकीरें।

अब क्या करोगे तुम ख़ुदा को कोस कर,
इससे पहले जो कुछ करते जरा सोच कर।