मेरे मनमीत

तुम मेरे मन के मीत हो सोनू
बस और कोई अब चाह नही मुझे,
तुझे समर्पण सब कुछ मेरा है
मेरा मन बस तुझे ही चाहता है।
सुबह की पहली किरण तुम हो
ढलती सूरज मेरी सुरमई शाम हो।

दिल का स्पन्दन हो मेरा तुम
धड़कते दिल की सांस हो तुम।
मेरे जीवन की आशा हो तुम
स्पन्दित दिल की भाषा हो तुम,
निःशब्द अल्फाजों की आवाज हो।

लफ़्जों में जो बयां ना हो सके
ऐसी मेरी मोहब्बत हो तुम।
सोनू रग-रग तुम ही में समाई हो
ज्यों फूलों में खुशबू सी हो
अपलक नयनों में समाई हुई
ऐसी सुंदरता की मूरत हो तुम।

चाँदनी रात की स्निग्धता सी हो
पूर्णिमा की शीतल ज्योत्सना हो।
कतरे-कतरे में बसी हुई एहसास तुम
सांसों में निर्मित प्रश्वास हो तुम
आनन्द की आहट हो तुम
रिश्तों की परिभाषा हो तुम।

तुम पे वार दिया अपना जीवन
बस तुमसे ही प्यार है मुझे
बस मैं तुमसे ही प्यार करूँ
तुम हो तो हर पल उत्सव
रोम रोम चीत्कार उठता है मेरा
तुम प्राण मेरी मैं शरीर बनूँ
प्रेममयी छलकती अमिय प्याला हो
सोनू ! तुमसे ही मेरा जीवन है
तुम हो तो सब है तुम मेरी रब हो॥