जी हाँ ! मैं कवि हूँ

जी हाँ ! मैं कवि हूँ
मैं सौंदर्य का कवि हूँ
जो मुझे नजर आता है
ऊंचे पहाड़ रेत के टीलों में
बहती नदियां और झीलों में
वन की हरियाली मुझे भाती है
पशु पक्षियों की अठखेलियां लुभाती है
प्रकृति और परमात्मा की छवि हूँ।
मैं सौंदर्य का कवि हूँ।

मैं शौर्य का कवि हूँ
मनु की जीजिविषा का कायल हूँ
रणक्षेत्र के अश्व से बंधी पायल हूँ
मैंने वीरता के प्रतिमान बनते देखे हैं
भूमि अरु वस्त्र रक्त से सनते देखे हैं
मातृभूमि के लिए दिए बलिदानों की
मैं शब्द समिधा हवि हूँ।
मैं शौर्य का कवि हूँ। .

मैं हास्य का कवि हूँ
ढूंढ ही लेता हूं हँसी करुणा या क्रोध में
कष्ट की नश्वरता का कर लेता बोध मैं
अपने आप पर ही तंज कस लेता हूँ
आपकी खुशी के लिए मैं हँस लेता हूँ
पीड़ा के अंधकार को विदीर्ण करे
भोर का मृदुल रवि हूँ।
मैं हास्य का कवि हूँ।

जी हाँ ! मैं कवि हूँ।