शून्य

अखिल ब्रह्माण्ड है कहाँ अवस्थित
मंडल सौर हैं अनेक व्यवस्थित
किस अवलंबन पर आधारित हैं
समय गति सब निर्धारित है
किस में सूरज चांद समाए
परिक्रमा धरतियां लगाए
किस से उद्गम कहां लोप हो
तीव्र प्रकाश तम घटाटोप हो
जिसका कोई आकार नहीं है
सर्वव्याप्त निराकार वही है
कौन करे निर्धारित मित्रों
सबके पाप और पुण्य
अंतरिक्ष लोक की महाशक्ति
वो महाबली है शून्य।