प्रार्थना
तू हो ना हो मेरा
मैं तो सदा से तेरा
मन ,वचन और कर्म से
करता रहता, ध्यान तेरा।
दुत्कार ,या स्वीकार कर
फैसला है अब तेरा ।
तू ही बसा मेरे दिल में
समाया है ,नस नस में
तू ही यत्र तत्र सर्वत्र
वास है तेरा कण-कण में
वजूद है, तो है, सिर्फ तेरा
बाकी सब ,मिट्टी का ढेरा।
दुनिया, दो दिन का बसेरा
साथ कभी, छोड़ूँ ना तेरा
यहां भला, है क्या मेरा
जो है, सब दिया है तेरा।
पिंड दुनिया से छुड़ा दे मेरा
आग्रह इतना तो मान ले मेरा।
हूँ मौत की कश्ती में सवार
चाहता करना भव सागर पार
तू ही सबका खेवन हार
डुबा दे कश्ती बीच मंझधार
या पहुंचा दे उस पार
अख़्तियार है तेरा ।
तू हो ना हो मेरा
मैं तो सदा से तेरा ।