शुभकामनायें

था यूँ तो काफी कुछ करने को
पर कुछ कर पाया, कुछ नही।
था बहुत कुछ पाने को यहाँ
पर कुछ पा लिया, कुछ नही।

कोशिश की दूँ छोड़ आदतें बुरी
पर कुछ त्याग पाया, कुछ नही।
अपनाये थे यूँ तो आदर्श बहुत से
कुछ कुछ चल पाया, कुछ नही।

चाहा हर रिश्ता निभाऊँ दिल से
पर कुछ निभ पाये, कुछ नही।
उतरूँ उम्मीदों पे लोगों के खरा
पर कुछ सफल हुआ, कुछ नही।

चाहा तो ये सभी करें पसंद मुझे
पर कुछ करते होंगे, कुछ नही।
मिलता नही सब कुछ किसी को
किसी को ज्यादा किसे, कुछ नही।

मिलती जिंदगी भरपूर जीने को
पर कुछ इसे जी पाते, कुछ नही।
जो भी मिला रहो खुश उसी में ही
संतोष से बढ़ के धन, कुछ नही।

राग द्वेष लोभ लालच किस लिए
साथ तो आखिर जायेगा, कुछ नही।
दुनिया है सराय जो आये वो जाये
कहने को बहुत कुछ है, कुछ नही।

दंगे फसाद लड़ाई झगड़े करें क्यूँ
मिट्टी के आलावा वजूद, कुछ नही।
शुभकामनायें देता दिल से सब को
गिला, शिकवा, रंजिश, कुछ नही॥