जाँबाज

असंभव को भी संभव करके था दिखाया
जाँबाज़ों ने यूँ कारगिल का युद्ध जिताया।
जाँबाज़ थे नीचे, दुश्मन था बैठा चोटी पर
विपरीत स्थिति में भी तिरंगा जा फहराया।

लड़ाई बासठ की हो या पैंसठ, इकहत्तर की
जाँबाजों ने बहादुरी का खूब डंका बजाया।
जब जब दुश्मनों ने की घुसपैठ की कोशिशें
सतर्क हमारे शूरवीरों ने मज़ा उन्हें चखाया।

हिफाज़त देश की सरहदों की दिन रात कर रहे
दुश्मन कुटिल इरादों में कामयाब हो न पाया।
आतंकवादियों नक्सलवादियों से ले रहे लोहा
शहादत दे अनेक दुर्दांतों को जहन्नुम पहुँचाया।

बाढ़ हो सुनामी हो भूचाल या कोई और आपदा
जाँबाज़ वीरों ने बढ़ चढ़ के हाथ अपना बंटाया।
चीनी सैनिकों ने धोखे से कर दिया जब हमला
उन्हीं के छीन हथियार, अच्छा सबक सिखाया।

उन जाँबाज़ों पे देश के हर नागरिक को नाज़ है
दे शहादत नाम अपना स्वर्ण अक्षरों में लिखाया।
‘कोरोना’ के चलते इन जाँबाज़ों को भी सलाम
डॉक्टर नर्स सफाई कर्मियों ने जो जज़्बा दिखाया।