कविता एक भाव

कविता लिखी नहीं जाती

वो तो लिख जाती है

हृदय से निकलकर पन्नो में 

उभर आती है 

कविता कण कण में है,

बस भावों का खेल है। 


कविता बनाई नहीं जाती,

वो तो बन जाती है

कविता तो भाव है

पन्नों मे उतर जाती है। 


हृदय को चीर कर

अपना मार्ग बना लेती है

कविता प्रेम वियोग है,

जो आत्मा से निकल आती है

कविता विरह व्यथा है

जो हृदय को चीर जाती है । 

 

कविता वो भाव है

जो आसानी से समझ नहीं आता

भाव आत्मा का दूसरा रूप है

जो शरीर को आसानी से नहीं छोड़ता

कविता मन से निकली पुकार है। 


सांसारिक जीवन का कोई खेल नहीं है

जब-जब मन मे शब्दों का तूफान आया

तब-तब कविता ने अपना मार्ग बनाया।