एक ख़्वाब कल रात जो मैंने देखा था क्या था वो असर था तेरी याद का या तेरी कोई नयी याद था क्या था वो कल रात जो मैंने देखा था एक ख़्वाब तुम मुझसे कह रहीं थी के तुम मेरे पास हो मेरे संग हो मेरे रूबरू हो पर हक़ीक़त में तुम न मेरे संग हो न मेरे रूबरू हो तभी तो वो एक ख़्वाब था गर तुम मेरे संग होती गर तुम मेरे रूबरू होती तो ये ख़्वाब ही न होता क्यों की जब तुम मेरे पास होती हर वक्त हर जगह तो तेरी याद ही न होती जेहन में और गर याद न होती तो ख़्वाब न होता कल रात जो मैंने देखा था एक ख़्वाब ।