नेता जी

राजनीति करो खूब नीति पे न करो राज़
राजनीति के लिए न नीति छोड़ो नेता जी ।

एक कौम से न लोकतंत्र चल सकता है।
छोड़ दिया एक ने तो खेल ख़त्म नेता जी ।

बाँट दिया तुमने तो इंसानों को जातियों में
भगवान को तो छोड़ देते प्यारे नेता जी ।

राम जी के नाम से ही कुर्सी मिली थी तुम्हें
करते परहेज राम ही से बोलो नेता जी ।

भीम की भी बात नहीं मानते हो भीम को भी
भीम कभी भूला नहीं राम मेरे नेता जी ।