नए साल पर

जा रहे हो, जाओ,
पर जाते जाते मुझ पर एक एहसान करोगे
नए साल के आने से पहले तुम उससे बात करोगे ।

तुम अपने थे
तुमसे कुछ भी छिपा नहीं है
नए साल को
मेरे दुःख का पता नहीं है
नम आँखों से
मैं कैसे सत्कार करुँगा
क्या तुम आने वाले का सत्कार करोगे ।

जा रहे हो, जाओ,
पर जाते जाते मुझ पर एक एहसान करोगे
नए साल के आने से पहले तुम उससे बात करोगे ।

वो नादाँ होगा,
उसको कुछ भी पता न होगा
एक चेहरे में कितने चेहरे लोग छुपाते
कितनी सच्ची झूठी बातें लोग बनाते
एक रंग में जैसे रंग हज़ार बसे हैं
काली दुनियाँ को भी रंगी लोग बनाते
करना होगा सावधान इन सबसे उसको
कुछ जीवन के अद्भुत पाठ पढ़ाने होंगे
तुमको पता है
अब में नए लोगों से कुछ कम ही मिलता हूँ
तुमको पता है
मैं अब अपने गम में उलझा ही मिलता हूँ
इस उलझन में खुद का कैसे परिचय दूंगा
मेरे हल्के दर्द जरा क्या बयां करोगे ।

जा रहे हो, जाओ
पर जाते जाते मुझ पर एक एहसान करोगे
नए साल के आने से पहले तुम उससे बात करोगे ।