किरदार

क्या सब कुछ पहले से तय से
सब पहले से लिखा हुआ है ।
इसका कितना यकीं है तुझको
मुझको तनिक भी नहीं हुआ है ।

क्या सब मंज़र लिखे हुए थे
क्या सबको सब निभा रहे थे
रंगमच पर अपने हिस्से का
क्या सब किरदार निभा रहे थे ।

क्या हम सब बस अदाकार हैं
क्या हम सब बस कलाकार हैं
क्या है रंगमंच ये दुनिया
क्या सुख दुःख सब ही पगार है ।

क्या कुछ का किरदार बुरा है
या कोई कलाकार बुरा है
किसने लिखी है ऐसी पटकथा
क्या कोई लेखाकार बुरा है ।

गीत कोई क्यों एक नहीं फिर
सब क्यों अपना बजा रहे हैं।
दुनिया उजाड़ के कुछ की
कुछ अपनी दुनिया सजा रहे हैं ।

फिर भी गलती हो ही जाती होगी
सब कुछ एकदम सही कहाँ हो पाता है
पाना चाहे जिसको कोई इंसां फिर भी
हर बार उसे कब कहाँ वो पा पाता है ।

माना डोरी थामे कोई इंसा न हो
पर जिसकी है डोरी
वो तो इंसा हो सकता है।
चालक तो दिखता ही नहीं है ।

फिर भी कोई कम से कम
परिचालक तो हो सकता है।
अगर पढ़ाने वाला सबको एक पढ़ाता,
सबक सभी का फिर कब एक ही जैसा होगा ।

आखिर रचने वाले हाथों ने क्यों हाथ रचे हैं
कुछ तो सोचो इन हाथों से कुछ तो होगा ।