
सलिल सरोज
मुझे बचपन से ही साहित्य में रुचि रही है एवं अच्छे संस्थानों में पढ़ने के बाद यह और भी गहरी होती गई। मेरी नजर में अपनी बात को कविता के माध्यम से कहने का सलीका और हुनर, कवि के व्यक्तित्व और उसके संजीदापन पर निर्भर करता है । कवि की कविताओं का विषय समाज में घट रही घटनाओं से प्रेरित होता और समाज को वास्तविक परिदृश्य से परिचित कराता है। मेरी कोशिश यही रही है कि सामाजिक मुद्दों और ज्वलंत समस्याओं पर अपनी बात बेबाकी से सरलता के साथ साहित्य के माध्यम से सुधि पाठकों के समक्ष प्रस्तुत कर सकूँ ।
परिचय
नाम :- श्री सलिल सरोज़
जन्म तिथि :- 03/03/1987
जन्म स्थान :- नौलागढ़, बेगूसराय, बिहार
शिक्षा :- स्नातक (अंग्रेजी भाषा), स्नातक (रूसी भाषा), तुर्की भाषा, परास्नातक (समाजशास्त्र)
संप्रति :- कार्यकारी अधिकारी लोक सभा सचिवालय संसद भवन
पता :- बी 302, तीसरी मंजिल, सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट्स, मुखर्जी नगर नई दिल्ली-110009
मोबाइल नंबर :- 9968638267
प्रकाशित काव्य पुस्तक:- नवांकुर (साझा काव्य संग्रह), तरंग (साझा काव्य संग्रह), यूं ही सोचता हुआ
प्रकाशित पत्र पत्रिकायें:- ‘बालहंस’ एवं ‘मित्र मधुर’ पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन ।
सम्पादन :- बच्चों के लिए ‘कोशिश’ पत्रिका का सम्पादन ।
सलिल सरोज की रचनाएं
- स्त्री मात्र शून्य है
- मैंने ऐसी किताबें पढ़ी हैं
- हर औरत के अंदर एक जंगल होता है
- मेरे हक़ की बात
- रंग गोरा ही देते
- अमूमन क्या होता है
- दर्द
- गाँव की गलियों में
- सुनिए(नज़्म)
- नज़र आते हो (नज़्म)
- निभाना आ गया(गज़ल)
- बताने लगे हैं (नज़्म)
- दुश्मन,दोस्त बन कर सामने आने लगे हैं
- बताओ ज़रा
- रोशनी
- काइल नही होता
- शब्द
- तेरी राह का पत्थर ही सही
- बेटियों को देखकर यही समझ आता है
- क्यों न मृत्यु का भी उत्सव किया जाए