गाँव की गलियों में सलिल सरोज कुछ किस्से और कुछ कहानी छोड़ आएहम गाँव की गलियों में जवानी छोड़ आए।शहर ने बुला लिया नौकरी का लालच देकरहम शहद से भी मीठे दादी-नानी छोड़ आए। खूबसूरत बोतलों की पानी से प्यास नहीं मिटतीउस पे हम कुएँ का मीठा पानी छोड़ आए। क्यों बना दिया वक़्त से पहले ही जवाँ हमें, किधूल और मिट्टी में लिपटी नादानी छोड़ आए। कोई राह नहीं तकती,कोई हमें सहती नहींक्यूँ पिछ्ले मोड़ पे मीरा सी दीवानी छोड़ आए। मन को मार के सन्दूक में बन्द कर दिया हमनेजब से माँ-बाप छूटे, हम मनमानी छोड़ आए।