देशभक्त

निकल पड़े कंटीले पथ पर,
कदम न पीछे हटने पाए।
मेरे लहू में भारत बहता,
वतन की मिट्टी में मिल जाए।

दुनिया के माथे का चंदन,
नारद-सारद करते वंदन।
कदम-कदम से ताल मिलाकर,
अम्बर पर भारत लिख आए।

मैं भारत का भारत मेरा,
देशभक्ति का सदा बसेरा।
छप्पन इंची सीना जिसका,
अभिनंदन को वापस लाए।

विश्व गुरु की लक्ष्य साधना,
युगपुरुष करते आराधना।
कहीं सख्त तो कहीं नर्म है,
सबके दिल में जगह बनाए।

हिन्दु मुस्लिम एक हो गए,
एक चमन के फूल बन गए।
नई सुबह है नई किरण ‘श्री’,
कश्मीर तिरंगा लहराए।