भारत महिमा

तरह-तरह के फूल हैं, गुथ कर माला एक।
जाति धर्म के भेद हैं, इक डोर में अनेक।।

भारत दिल में बस गया, बचा न कोई ठौर।
देश प्रेम रग में बहे, सबका है सिरमौर।।

गंगा यमुना सरस्वती, पवित्र नदियाँ हिंद।
तीनों का संगम हुआ, वही तीर्थ का बिंद।।

भारत समृद्ध देश है, हरे-भरे हैं खेत।
खुशहाली कण-कण बहे, सोना उगले खेत।।

रंग ध्वज में तीन है, गौरव का प्रतीक।
नीला प्रगति चक्र है, एकसूत्र में लीक।।

अमन चैन से सब रहें, एक चमन के फूल।
खुशबू अलग-अलग भले, रचे-पगे इक मूल।।

तन कर प्रहरी हिम खड़ा, बचाए वायु शीत।
मॉनसून को रोक ले, मेह पड़े सुख प्रीत।।