स्वतंत्रता सरिता श्रीवास्तव 'श्री' भारत वीर फौलादी,पाई हमने आजादी,गले फँदा चूमकर,फांसी पै झूल गए।अंतस में जोश भर,आँखों में अंगार भर,धमक हुंकार ऐसी,शत्रु भी डर गए।सहे खूब भाला तीर,डटे रहे शूरवीर,पुनीत बहा के लहू,धरा को रंग गए।गुलामी को तोड़कर,मुक्त हवा छोड़कर,जान को उत्सर्ग कर,‘श्री’ वंद्य कर गए।