तुम लौट आओ
वह दरख्तों से सजे रास्ते तेरा इंतज़ार करते हैं
झरने पहाड़ आसमां तेरी राह तका करते हैं
वह ख्वाबों का आशियाँ तुम्हें याद करता है
वह झूमर जो हवा के चलते रक्स करता है
घर का वह आँगन जहां एक बाग लगाया था
उसका हर गुंधा हर पत्ता तुम्हें याद करता है
वह रोशनदान जिसके पर्दों को हटाकर सरसराती हवा
तुम्हें गुदगुदाकर नींद से जगाने आती थी
तुम्हारी किताबें तस्वीरें दीवारें और आईना
तुम्हें नहीं पाकर खामोश हो जाते हैं
आ जाओ के अब मौसम ने करवट बदली है
दूर दूर तक फैले पहाड़ों ने
अपने सर पर घटाओं का ताज पहन रखा है
सहराओं ने अपना दामन सब्ज़ रंग के चुनर से सजा रखा है
बारिश की फुहारें पत्तों को मोतियों से सजाये हुई हैं
फूलों की लाली अपने शबाब पे है
अपने महकते ख़ुशबुओं से वह तुम्हें
खुद अमदीद कहना चाहती है
आ भी जाओ के तुम्हारा इंतज़ार है
एक मुद्दत से दिल को तेरी तलाश है
इस वीरान दिल को फिर से आबाद कर दो
आओ, तुम लौट आओ।