मै आज जहां से दूर हुई

मै आज जहां से दूर हुई
इक बस्ती में आबाद हुई।

अंजाना सा इक साया था
दिल की दुनिया में आया था।

माज़ी की इक जंजीर सी थी
धुंधली कोई तस्वीर सी थी।

फिर मौसम ने करवट बदली
और तूफानी बरसात हुई।

जिन चेहरों पर थी धूल जमी
उन चेहरों की पहचान हुई।

था अब्र सियाह, तारीकी थी
वह दिल था मेरा खुशफहमी थी।

जब बादल टूट के बरसा था
दिल भी तो टूट के रोया था।

वह आसमान की बारिश थी
आँखों की बूँदा-बांदी थी।

मेरे दिल को खुशफहमी थी
उस तूफाँ से वह दूर हुई।