मै अकेला

मै अकेला, मै अकेला
साथ मेरे ग़म का मेला
दंभ मुझमें अपार था
जीवन का न सार था
मै अकेला, मै अकेला
साथ मेरे ग़म का मेला।

मजबूर को मजबूर किया
स्नेह किसी ने न दिया
सबने रिश्ता तोड़ दिया
मुझे अकेला छोड़ दिया।
मै अकेला, मै अकेला
साथ मेरे ग़म का मेला।

आज जमाना हँस रहा
कोई न अपना दिख रहा
खुद से खुद ही लड़ रहा
शर्म से सिर है झुक रहा।
मै अकेला, मै अकेला
साथ मेरे ग़म का मेला।