तुम्हें इस क़दर क्यों ज़माने का डर है सुखवीर चौधरी 'शिखर' तुम्हें इस क़दर क्यों ज़माने का डर है।ख़ुदा की यहाँ हर बशर पे नज़र है।उन्हें दुश्मनों का लगा झूठ अच्छा,हमारा तो सच भी हुआ बेअसर है।कोई राज हम से छुपाओगे कैसे,हमें आप की हर ख़बर की ख़बर है।उन्हें देखकर दिल को आराम आया,सभी को है लगता दवा का असर है।सियासत की अपनी अलग है कहानी,सियासत से हर इक परेशाँ बशर है।मुझे मार सकता नहीं कोई दुश्मन,दुआओं में मैया की इतना असर है।‘शिखर’ अब नहीं कोई सच का पुजारी,कठिन रास्ते सच की मुश्किल डगर है।