नए ग़म फिर उठाना चाहता हूँ सुखवीर चौधरी 'शिखर' नए ग़म फिर उठाना चाहता हूँ,मैं ख़ुद को आजमाना चाहता हूँ।ज़माने में तो ग़म बिखरे पड़े है,मैं बस हँसना हँसाना चाहता हूँ।मुझे तुम भूल जाओ इस से पहले,मैं ख़ुद तुमको भुलाना चाहता हूँ।मेरे दिल में नहीं है और कोई,मैं तुम को ये बताना चाहता हूँ।मुझे दुनिया ने ठुकराया था एक दिन,मैं दुनिया को झुकाना चाहता हूँ।