वसुंधरा

अम्बर से अवतरित एक किरण
करती अवलोकित समस्त लोक।

अवनी के गर्भ में प्रसून सार
होता वसुधा का प्रथम द्वार।

जगमग करता वह प्रदीप कतार
अविचल रहता हर एक बार।

तटिनी का मधुर मेघपुष्प
कर देता सबको एक सार।

पवन वेग का मधुर स्पन्दन
पुष्पों का करता है आलिगंन।

देव गृह का वह शंखनाद
भरता मन में अतिव उन्माद।

अरण्य भाग में शिखावल
करता नृत्य जब पंख पसार।

गर्वित होता वह गिरिराज
देख वसुधा का साज शृंगार।