दीदार

चराग हजारो जलाओं रोशनी के लिए
कर दो जीवन समर्पित किसी के लिए,
मन में आए खयाल जब रुसवाईयों का
हौसलें और भी बढ़ा दो किसी के लिए।

गर जो मुमकिन हो बातों की गुमनामियां
लफ़्ज होठों पर ला दो किसी के लिए,
बेबसी में जीना है कहाँ का सबब
सारी मुश्किलें भुला दो किसी के लिए।

सारे शिकवे मिटा दो किसी के लिए
इश्क़ दिलों में सजा दो किसी के लिए,
हाथ जब भी उठे दुआओं के लिए
दुआ सलामती की मांगो किसी के लिए।

हँसी फिजा में बिखेरो किसी के लिए
राह में पलकें बिछा दो किसी के लिए,
कोई आए ना आये दीदार को
गुल-ए-महफिल सजा दो किसी के लिए।