दीदार सुनीता गोंड चराग हजारो जलाओं रोशनी के लिएकर दो जीवन समर्पित किसी के लिए,मन में आए खयाल जब रुसवाईयों काहौसलें और भी बढ़ा दो किसी के लिए।गर जो मुमकिन हो बातों की गुमनामियांलफ़्ज होठों पर ला दो किसी के लिए,बेबसी में जीना है कहाँ का सबबसारी मुश्किलें भुला दो किसी के लिए।सारे शिकवे मिटा दो किसी के लिएइश्क़ दिलों में सजा दो किसी के लिए,हाथ जब भी उठे दुआओं के लिएदुआ सलामती की मांगो किसी के लिए।हँसी फिजा में बिखेरो किसी के लिएराह में पलकें बिछा दो किसी के लिए,कोई आए ना आये दीदार कोगुल-ए-महफिल सजा दो किसी के लिए।