बसन्तोत्सव

सखी आयी यह बेला बडी़ विभावरी
सजी चहुं ओर बसंती सा लोक।
रवि की किरणो का आनन्दित आलोक
करती छन-छन, कल-कल क्रीड़ा  सरोज।

पिहु का मधुर कलरव सुबोध
कराता सौन्दर्य का अद्भुत सा बोध।

भर-भर अन्जुलि पुष्पों का लिए बसंत
पुष्पों का पुष्पों से यह प्रेम अनन्त।
सखी यह प्रीत का अद्भुत सा दृश्य पटल।