माँ की महिमा सुनीता गोंड महिमा मण्डित रूप अलौकिकक्षत्र धारणी सिंह वाहिनीनौ रूपो की शरण दायिनी।असुरो का कर ध्वन्सबचाया धरती का विध्वन्सकर के देवो का उद्धारकिया भव सागर से पार।तुंग शैल पर बसने वालीधरणीधर तेरे नाम अनन्तछम छम करते तेरे नूपुर नादमन में भरता प्रेम उन्माद।नैनो में अविचल अग्नि ज्वालाह्दय समाया प्रेम विशालाश्रद्धेय माँ तेरी छवि निरालीमन वान्छित वर देने वाली।जय जय जय हो उद्घोष तुम्हारीहे माँ तुम हो जगत दुलारी।