तू कविता कहता चल सुनीता गोंड तू कविता कहता चलमैं एक पंक्ति बन जाऊँ।तू शब्द ढूँढ़ता चलमैं सबकी अनुरक्ति बन जाऊँ।तू भाव बताता चलमैं शब्द बोध बन जाऊँ।तू दीप जलाता चलमैं ज्योति बन जाऊँ।तू सागर सा बहता चलमैं मोती बन जाऊँ।तू राह दिखाता चलमैं पथगामी बन जाऊँ।जीवन के कठिन पथ की तेरेमैं अनुगामी बन जाऊँ।