ना है इनका कोई मोल

आज का दिन है उनके नाम
करो उनका सदैव सम्मान
मजदूर दिवस है आज
मजदूर है जिसका नाम।

कडी़ धूप हो या बारिश,
या हो सर्दी की कड़क ठंड,
रहते ये तत्पर सदा
अपने काम में लिप्त।

कहता कोई लेबर
कोई कहता मजदूर,
नहीं है इनका कोई ठौर ठिकाना,
पर बनाते हैं ये सबका आशियाना।

कभी कभी ये चुटकी में
कर देते है ऐसा काम,
जिसके लिए हम
सोचते रह जाते हैं सुबह शाम।

रिक्शा ट्राली ढोते रहते
उठाते सबका बोझ,
फिर भी नही बदलती
सबकी इनके प्रति सोच।

अपने काम के प्रति
रहते सदा तैयार,
नही लेते छुट्टी कभी
शनिवार हो या इतवार।

रहे जिन्दगी में कितने दुख?
ना मिले इन्हें कोई सुख?
नहीं करते इसका जिक्र
पर मालिक की सदैव करते फिक्र।

सींचते अपने पसीने से
खेतों और खलिहानों को,
नहीं मिलता कभी दूध और घी
नहीं मिलता कभी फल,
नहीं होता इसका अफसोस
इन्हें जीवन के किसी पल।

चुका कर कर्ज मेहनत का
हम पर करते हैं एहसान,
बनी रहे चेहरे पर इनके
सदैव ऐसी ही मुस्कान,
अगली बार फिर आयेंगे
लेकर एक प्यारा फरमान।

चलो चलो भारत को लेकर उन्नति के द्वार
बन जाये मजदूर दिवस, ऐसा एक अभियान।