सुलगते जज़्बात सुनीता गोंड सुलगते देश के जज़्बातों की कहानी बयां करते हैअपने कलम से दर्द की रवानी बयां करते हैं। भारत माँ के दामन को करते जो तार तार हैंकहते है इनको माँ फिर रखते नही मान हैं। देश के दामन में छिपे ऐसे भी कुछ कपूत हैंकरते जो रक्त रंजित देश का वजूद हैं। दिया हर अधिकार देश ने इनके जीवन काकर देते हर बार क्यों हनन इन अधिकारों का। कब तक निःसहाय बनी रहेगी ये जनताकब तक शर्मसार होती रहेगी ये ममता। जागो ! देश के सम्मान की एक कडी़ बन जाओअपने आत्मरक्षा की खुद हथकडी़ बन जाओ।