बात

हर बात में दम हो
यह कोई बात तो नही होती !
कुछ बातें मन मुताबिक भी कह दी जाये
बात चलती है बडी़ गर्मजोशी से
तो अपना बयान देती है।
कुछ कमजोरियाँ तो कुछ अनुभवों का
ज्ञान देती हैं।

बात ठहाकों से शुरु हो तो
गुले गुलजार यार मिल जाते हैं,
और तो और
बात कनफुसिया के कर दी जाये तो
संशय भी बेसुमार हो जाते हैं।

बात भी सही वक्त
सही लफ़्ज़ की मोहताज होती है
बेतरतीब कही हुई बातों से
मलाल भी होता है।
बात अगर दिल को लग जाये
तो बवाल भी होता है।

दूर दूर तक बातों से ही
फँसाने बनते हैं,
कुछ लोग बातों से जादूगरी
तो कुछ लोग कारनामें करते हैं।
बात महफिल में
अगर जम जाये तो सिरोताज देते हैं,
बातों से ही बातों को लोग मात देते हैं।

बात इन्सान के प्रतिरुप की छवि होती है,
बात ही है जो इन्सान से इन्सान की कडी़ होती है॥