मातृभूमि सुनीता गोंड हे मातृभूमि, हे जन्मभूमितेरे नित वन्दन गाऊं माँसुख समृद्धि जो दिया अकूतउसका ही गौरव गान सुनाऊं माँ।तेरे चरणों में शीश झुका करअपने को ऊँचा पाऊं माँजन्मी हूँ इसी धरा पर मैसुन सुन गर्वित हो जाऊं माँ।चरणों को धोता सागर हैसिर पर ताज हिमालय काप्रकृति की अनुपम काया माँतुमसे ही सब कुछ पाया माँ।है कृष्ण भूमि, है राम भूमिजन्में ये इसी धरा पर हैतेरे ही आँचल का सुख पाकरजन्मे थे वीर अनेक यहाँ।जकडी़ थी जब तुम बेडी़ मेंआँखो से निर्झर बह निकलेसुनते थे वीर सपूत यहाँरणभेरी लेकर थे निकले।हर गाथा तेरी निराली माँसबसे ऊँची तेरी थाती माँजब जब तेरा गुणगान करूँहूँ श्रेष्ठ यही मै भान करूँ।