बोलती कविता

चलो कुछ लिखते है
लिखते है एक कविता
जिसमें हो एक भाव, एक गीत और एक संवेदना
जो छू पाये जीवन के उस पथ को
जिससे हो हम अछूते अनभिज्ञ और विमुख
चलो एक शब्द ढूँढते हैं
जो हो जाए इस कविता का सार
कर पाये इस जीवित मन की जिज्ञासा को निरुपित
हर कोशिश हमारी हो जाये सफल
सफल हो जाये हमारा ये जीवन पाना
और कर पाये कूच उस विराट नदी की ओर
जिसकी लहरें किनारे तक जायें
और छू पाऊँ उसकी हर बूँद को
छू पाऊँ उस प्रतिबिम्ब को जिसका रंग कुछ गाढा़ हो
जो उतरकर भी एक निशान दे जाये
इन मनोवेगों की तपिस और शुष्कता,
भाव को दे एक नया अंकुर
और कर दे उसे एक वृक्ष सा परिवर्तित।